श्रीनगर के दूरस्थ विधालय के लिए वरदान साबित हुए डा धन सिंह रावत:
कहते हैं जिसके अंदर शिक्षा की बुनियाद मजबूत करनी हो तो उसके लिए इच्छाशक्ति की जरूरत होती है, जो धन दा ने कही बार सिद्ध किया है, वह प्रदेश सरकार पर निर्भर नहीं रहता।
श्रीनगर एरिया के दूरस्थ गांव के विधालय के लिए बीजेपी के दिग्गज नेता डाॅ धन सिंह रावत वरदान साबित हुए। आजादी के बाद उतराखण्ड के स्कूल एक जैसे थे। वही सरकारी मदद, बच्चो का टाट पट्टी मे बैठना, मास्टर का नारद रहना ।इत्यादी इत्यादी......धन सिंह रावत जी ने 37 स्कूल की सूरत बदल दी। ओएनजीसी के सीएसआर मद से प्रत्येक विधालय को दो लाख रूपये के फर्नीचर दिलाए। फर्नीचर ईमानदारी से खरीदे गए। धन सिंह जी ने इसके लिए भागदौड़ की । फिर सफलता पाई। अपने गांव, क्षेत्र, खेत,खलिहान के
नौनिहालो के लिए धन दा जीते हैं। ओएनजीसी से पैसा स्वीकृत कराना इतना आसान नही था। इसके उन्होंने भारत सरकार के चक्कर लगाए। जमीनी मेहनत की ईमानदार लोगो की गाव की कमेटी बनायी। और फिर फर्नीचर खरीद हुई। 37 स्कूल के नौनिहाल, गुरुजी धन सिंह रावत के इस कदम से खुश हैं। वे अब टाट पट्टी मे नही। कुर्सी मेज मे बैठेंगे।
एरिया की शिक्षा की रोशनी मे यह महत्वपूर्ण कदम है। शिवा नंद नौटियाल जी लखनऊ से क्षेत्र का उजाला किया था । धन सिंह रावत ने दिल्ली से रोशनी बिखेरी । अब धन दा भविष्य की सुनहरी सरकार बीजेपी की प्रदेश सरकार से शिक्षा का उजाला बिखेरेंगे।......
वही एक व्यक्ति दस साल बाद भी विकास के बजाय भांडे बर्तन बाँट रहा है, दुसरे का तो पुछो ही मत इनके क्या कहने ये झूठ से शुरुआत करते है और अपनी तारीफ़ के पुलिंदे बंधवाते है.
कहते हैं जिसके अंदर शिक्षा की बुनियाद मजबूत करनी हो तो उसके लिए इच्छाशक्ति की जरूरत होती है, जो धन दा ने कही बार सिद्ध किया है, वह प्रदेश सरकार पर निर्भर नहीं रहता।
श्रीनगर एरिया के दूरस्थ गांव के विधालय के लिए बीजेपी के दिग्गज नेता डाॅ धन सिंह रावत वरदान साबित हुए। आजादी के बाद उतराखण्ड के स्कूल एक जैसे थे। वही सरकारी मदद, बच्चो का टाट पट्टी मे बैठना, मास्टर का नारद रहना ।इत्यादी इत्यादी......धन सिंह रावत जी ने 37 स्कूल की सूरत बदल दी। ओएनजीसी के सीएसआर मद से प्रत्येक विधालय को दो लाख रूपये के फर्नीचर दिलाए। फर्नीचर ईमानदारी से खरीदे गए। धन सिंह जी ने इसके लिए भागदौड़ की । फिर सफलता पाई। अपने गांव, क्षेत्र, खेत,खलिहान के
नौनिहालो के लिए धन दा जीते हैं। ओएनजीसी से पैसा स्वीकृत कराना इतना आसान नही था। इसके उन्होंने भारत सरकार के चक्कर लगाए। जमीनी मेहनत की ईमानदार लोगो की गाव की कमेटी बनायी। और फिर फर्नीचर खरीद हुई। 37 स्कूल के नौनिहाल, गुरुजी धन सिंह रावत के इस कदम से खुश हैं। वे अब टाट पट्टी मे नही। कुर्सी मेज मे बैठेंगे।
एरिया की शिक्षा की रोशनी मे यह महत्वपूर्ण कदम है। शिवा नंद नौटियाल जी लखनऊ से क्षेत्र का उजाला किया था । धन सिंह रावत ने दिल्ली से रोशनी बिखेरी । अब धन दा भविष्य की सुनहरी सरकार बीजेपी की प्रदेश सरकार से शिक्षा का उजाला बिखेरेंगे।......
वही एक व्यक्ति दस साल बाद भी विकास के बजाय भांडे बर्तन बाँट रहा है, दुसरे का तो पुछो ही मत इनके क्या कहने ये झूठ से शुरुआत करते है और अपनी तारीफ़ के पुलिंदे बंधवाते है.
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