February 27, 2021

शुरू हुई मुख्यमंत्री घस्यारी कल्याण योजना...

 उत्तराखण्ड में घास लेने जंगल जाने वाली महिलाओं की परेशानी दूर करने के लिए शुरू हुई # मुख्यमंत्री घस्यारी कल्याण योजना# यह योजना पहाड़ की महिलाओं के जीवन को बदलने में कारगर साबित होगी।

पर्वतीय जिलों की महिलाओं के कंधों से घास का बोझ कम करने के लिए कैबिनेट ने मुख्यमंत्री घस्यारी कल्याण योजना को मंजूरी दे दी है. राज्य की 70 फीसदी से अधिक की आबादी कृषि एवं पशुपालन व्यवसाय से जुड़ी हुई है. इसलिए पर्वतीय क्षेत्रों में हरे चारे की भारी कमी को देखते हुए मुख्यमंत्री घस्यारी कल्याण योजना को शुरू किया गया है. 

मुख्यमंत्री घस्यारी कल्याण योजना के उद्देश-

  • चारा काटने के लिए जंगल में जाने से महिलाओं को होने वाली कठिन परिस्थितियां का निवारण करना।
  •  चारा काटने में लगी हुई ग्रामीण पर्वतीय महिलाओं के कार्यबोझ, दुर्घटना सम्बन्धी
  • परेशानियों एवं अनुत्पादक अम से बचाव । > फसल के अवशेषों और फॉरेंज (Forage) को वैज्ञानिक संरक्षण द्वारा राज्य में चारें की कमी को दूर करना
  •  फसल के अवशेषों को जलाने के कारण होने वाले पर्यावरणीय दुष्परिणामों को कम करना।
  •  पशुओं के स्वास्थ्य में सुधार और दूध की पैदावार में वृद्धि करके कृषकों की आय में बढोत्तरी करना।
  • प्रस्तावित योजना में राज्य के कृशक लाभार्थियों / पधुपालकों को सायलेज/
  • टी0एम0 आर0/चारा ब्लॉक रियायती दर पर उपलब्ध कराया जायेगा।
  • इस योजना के तहत लगभग 2000 से अधिक कृषक परिवारों को उनकी 2000 एकड़ से अधिक भूमि पर मक्का की सामूहिक सहकारी खेती से जोडा जायेगा।
  •  वित्तीय वर्ष 2021-22 के दौरान सायलेज एवं टी०एम०आर० हेतु प्रत्येक में 10.000 मैन्टन उत्पादन और आपूर्ति का लक्ष्य रखा गया है।
  • इस योजना के तहत एक ओर जहां मक्का उत्पादक किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाये जाने की व्यवस्था की गई है, उसके साथ ही राज्यान्तर्गत ही सम्पूर्ण मूल्य श्रृंखला (Complete Value Chain ) स्थापित कर पशुपालकों को गुणवत्तायुक्त सायलेज/टी०एम0आर उपलब्ध होगा एवं पर्वतीय महिलाओं के कन्धों से घास के गट्ठर का बोझ भी उतारा जा सकेगा।

February 26, 2021

राठ का अभिमान है टिंचरी माई

दिनांक 24.02.2021 को मज्यूर गांव में टिंचरी माई (दीपा नौटियाल) स्मारक एवं मूर्ति स्थापना के लिए भूमि पूजन व शिलान्यास किया। शराबबंदी के लिए टिंचरी माई का योगदान अहम है। वह पहाड़ का अभिमान हैं। माई ने कोटद्वार के सिगड्डी क्षेत्र की पेयजल समस्या के लिए दिल्ली जाकर प्रधानमंत्री से मुलाकात करने वाले टिंचरी मार्ग की स्मारक बनने के बाद प्रतिवर्ष जून माह में यहां भव्य आयोजन भी किया जाएगा।

 महिला शक्ति की जीती जागती मिसाल थी, टिंचरी माई उर्फ दीपा देवी। आजादी के बाद जब महिलाएं घर से बाहर नहीं निकलती थी समाज में हर तरफ अंधविश्वास, सामाजिक कुरीतियां, अशिक्षा और नशे का बोल बाला बढ़ रहा था, तब टिंचरी माई समाज में उम्मीद की किरण बन कर अभरी

टिंचरी माई का जन्म 1917 में ग्राम मंज्युर, तहसील थलीसैण में तथा विवाह ग्राम गवाड़ी, ब्लॉक पोखड़ा, जिला पौड़ी गढ़वाल के हवलदार गणेशराम नवानी से हुआ था जो द्वितीया विश्व युद्ध में शहीद हो गए थे. परिवार में विरक्त होने पर ये जोगन बन गयी मगर सामाजिक कार्योँ में अपने योगदान के लिए सारे गढ़वाल में प्रसिद्ध हुईं। इनका वास्तविक नाम दीपा देवी था. गाँव में यह ठगुली देवी के नाम से पुकारी जाती थी. इच्छागिरी माई के रूप में भी इन्होने प्रसिद्धि पायी।  इन्होने सामाजिक कुरीतियों तथा धार्मिक अंधविश्वासों का डटकर सामना किया।  गढ़वाल में ५०-६० के दसक में आयुर्वेद दवाई के नाम पर बिकने वाली शराब (टिंचरी) की दुकानों को बंद कराने तथा बच्चों की शिक्षा विशेषकर बालिकाओं की शिक्षा के लिए स्कूलों  का निर्माण कराने में इनका बहुत महत्वपूर्ण योगदान रहा। टिंचरी माई का निधन 75 साल की उम्र में  हो गया. इस महान महिला के लिए हमारा कोटि कोटि नमन…