उत्तराखण्ड में घास लेने जंगल जाने वाली महिलाओं की परेशानी दूर करने के लिए शुरू हुई # मुख्यमंत्री घस्यारी कल्याण योजना# यह योजना पहाड़ की महिलाओं के जीवन को बदलने में कारगर साबित होगी।
पर्वतीय जिलों की महिलाओं के कंधों से घास का बोझ कम करने के लिए कैबिनेट ने मुख्यमंत्री घस्यारी कल्याण योजना को मंजूरी दे दी है. राज्य की 70 फीसदी से अधिक की आबादी कृषि एवं पशुपालन व्यवसाय से जुड़ी हुई है. इसलिए पर्वतीय क्षेत्रों में हरे चारे की भारी कमी को देखते हुए मुख्यमंत्री घस्यारी कल्याण योजना को शुरू किया गया है.मुख्यमंत्री घस्यारी कल्याण योजना के उद्देश-
- चारा काटने के लिए जंगल में जाने से महिलाओं को होने वाली कठिन परिस्थितियां का निवारण करना।
- चारा काटने में लगी हुई ग्रामीण पर्वतीय महिलाओं के कार्यबोझ, दुर्घटना सम्बन्धी
- परेशानियों एवं अनुत्पादक अम से बचाव । > फसल के अवशेषों और फॉरेंज (Forage) को वैज्ञानिक संरक्षण द्वारा राज्य में चारें की कमी को दूर करना
- फसल के अवशेषों को जलाने के कारण होने वाले पर्यावरणीय दुष्परिणामों को कम करना।
- पशुओं के स्वास्थ्य में सुधार और दूध की पैदावार में वृद्धि करके कृषकों की आय में बढोत्तरी करना।
- प्रस्तावित योजना में राज्य के कृशक लाभार्थियों / पधुपालकों को सायलेज/
- टी0एम0 आर0/चारा ब्लॉक रियायती दर पर उपलब्ध कराया जायेगा।
- इस योजना के तहत लगभग 2000 से अधिक कृषक परिवारों को उनकी 2000 एकड़ से अधिक भूमि पर मक्का की सामूहिक सहकारी खेती से जोडा जायेगा।
- वित्तीय वर्ष 2021-22 के दौरान सायलेज एवं टी०एम०आर० हेतु प्रत्येक में 10.000 मैन्टन उत्पादन और आपूर्ति का लक्ष्य रखा गया है।
- इस योजना के तहत एक ओर जहां मक्का उत्पादक किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाये जाने की व्यवस्था की गई है, उसके साथ ही राज्यान्तर्गत ही सम्पूर्ण मूल्य श्रृंखला (Complete Value Chain ) स्थापित कर पशुपालकों को गुणवत्तायुक्त सायलेज/टी०एम0आर उपलब्ध होगा एवं पर्वतीय महिलाओं के कन्धों से घास के गट्ठर का बोझ भी उतारा जा सकेगा।
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