भारत के सपूत उत्तराखंड गौरव वीर चन्द्र सिंह जी को पेशावर काण्ड की बरसी पर शत् शत् नमन।
जन्म- 25 दिसम्बर, 1891
जन्मस्थान – मासी, पौड़ी गढ़वाल
मृत्यु – 1 अक्टूबर, 1979
ब्रिटिश हुकुमत के खिलाफ पहले खुले सैनिक विद्रोह करने वाले वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली का जन्म 25 दिसम्बर 1891 को हुआ था. प्रथम विश्व युद्ध के दौरान गढ़वाल राइफल में भर्ती हुए वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली ने 23 अप्रैल 1930 को पेशावर में जंगे आजादी की लडाई लड़ रहे निहत्थों पठानों पर जब ब्रिटिश हुकुमत के गोली चलाने के आदेश को मानने से इंकार कर दिया तो उन्हें इसकी सजा काला पानी के रूप में चुकानी पड़ी.1930 में चन्द्रसिंह गढ़वाली को 14 साल के कारावास के लिये ऐबटाबाद की जेल में भेज दिया गया। जिसके बाद इन्हें अलग-अलग जेलों में स्थानान्तरित किया जाता रहा। पर इनकी सज़ा कम हो गई और 11 साल के कारावास के बाद इन्हें 26 सितम्बर 1941 को आजाद कर दिया। ब्रिटिश हुकुमत के खिलाफ पहले खुले सैनिक विद्रोह कर उनकी चूलें हिलाने वाले यह वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली ही है कि जिनका देश की आजादी में जितना बड़ा योगदान रहा, उतना ही उसके बाद भी यहां के नागरिकों के अधिकारों की लड़ाई लड़ने के रूप में रहा. 1 अक्टूबर 1979 को चन्द्रसिंह गढ़वाली का लम्बी बिमारी के बाद देहान्त हो गया। 1994 में भारत सरकार द्वारा उनके सम्मान में एक डाक टिकट भी जारी किया गया। तथा कई सड़कों के नाम भी इनके नाम पर रखे गये।
जन्म- 25 दिसम्बर, 1891
जन्मस्थान – मासी, पौड़ी गढ़वाल
मृत्यु – 1 अक्टूबर, 1979
ब्रिटिश हुकुमत के खिलाफ पहले खुले सैनिक विद्रोह करने वाले वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली का जन्म 25 दिसम्बर 1891 को हुआ था. प्रथम विश्व युद्ध के दौरान गढ़वाल राइफल में भर्ती हुए वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली ने 23 अप्रैल 1930 को पेशावर में जंगे आजादी की लडाई लड़ रहे निहत्थों पठानों पर जब ब्रिटिश हुकुमत के गोली चलाने के आदेश को मानने से इंकार कर दिया तो उन्हें इसकी सजा काला पानी के रूप में चुकानी पड़ी.1930 में चन्द्रसिंह गढ़वाली को 14 साल के कारावास के लिये ऐबटाबाद की जेल में भेज दिया गया। जिसके बाद इन्हें अलग-अलग जेलों में स्थानान्तरित किया जाता रहा। पर इनकी सज़ा कम हो गई और 11 साल के कारावास के बाद इन्हें 26 सितम्बर 1941 को आजाद कर दिया। ब्रिटिश हुकुमत के खिलाफ पहले खुले सैनिक विद्रोह कर उनकी चूलें हिलाने वाले यह वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली ही है कि जिनका देश की आजादी में जितना बड़ा योगदान रहा, उतना ही उसके बाद भी यहां के नागरिकों के अधिकारों की लड़ाई लड़ने के रूप में रहा. 1 अक्टूबर 1979 को चन्द्रसिंह गढ़वाली का लम्बी बिमारी के बाद देहान्त हो गया। 1994 में भारत सरकार द्वारा उनके सम्मान में एक डाक टिकट भी जारी किया गया। तथा कई सड़कों के नाम भी इनके नाम पर रखे गये।
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